नेहा के दिल की बात/Dil Ki Bat Hindi Kahani

शादी के बाद ऑफिस के सेक्रेटरी से पति का अफेयर नेहा के दिल की बात :   


नेहा अपने पति को प्रेम से साजन कहती थी लेकिन शायद शरद मेरे प्यार का मोल नहीं समझे तभी तो करमजली सुहासिनी के लटके झटके देख फिसल गए,  ऐसे गिरे वो कि चारों खाने चित्त ! खैर मुझे सब मालुम था कि लंच में दो रोटी/ पराँठा/ पूड़ी/ कचौड़ी एक्स्ट्रा देने को क्यों कहते इसलिए उनकी सखी सहेली खाए और मुझे जलाए।


यह सब कार -बार (प्रेम प्रपंच ) चार महीने से चल रहा था और उनकी दास्तानेमुहब्बत शनैः शनैः परवान चढ़ती जा रही और इधर मेरा खून हौले हौले  खौलता जा रहा था । साजन को लगता कि मुझे कुछ पता ही नहीं? आखिर कब तक बकरे की माँ खैर मनाती ?

               सुहासिनी एक दिन फोन करती है , मैडम आप सर को जल्दी भेजिए ऑफिस,  बॉस खोज रहे हैं नेहा बौखलाए हुए बोली, क्या बात है बॉस क्यों खोज रहे , ये ऑफिस को निकल गए हैं , पहुँच ही रहे होंगे , कहकर फोन मैंने कट कर दिया। शाम को पतिदेव बोल रहे, तुम सुहासिनी से ठीक से बात क्यों नहीं करती हो बिचारी आज ऑफिस में रोआँसी हो गई थी , मैडम जी मुझसे ठीक से बात नहीं करतीं और रोने लगी। मैं तो चार महीने से चिढ़ी व भरी थी,  ओह हो , तो जनाब के कंधे उसके आँसुओं से भींग गए होंगे और रूमाल भी। है ना , अरे मेरी जान क्या कह रही हो ,तुम्हें अपने पति पर जरा भी विश्वास नहीं है , हद है भाई ! व्यवहारिक बनने को कह रहा तो टशन दिखा रही हो , वो मेरी सेक्रेटरी है ना, कि बीबी है वो। अरे जाओ ना , किसने रोका है उसके माँग में सिंदूर भर दो , पत्नी बन ही जाएगी और मेरा आसन हिल जाएगा , बड़े शरीफ बन रहे , सब जानती हूँ , पिछले ऑफिस टूर में सुहासिनी के साथ दार्जिलिंग गए थे , कलकता में ऑफिसियल काम खत्म होते ही बाय कार दार्जिलिंग निकल गए  थे तुम दोनों , वहाँ एक कमरे में ठहरे थे , हनीमून कपल जैसे । तिस पर फेसबुक पे एक दूसरे का फोटो भी गलबहिया वाला डाल दिए थे। तुम्हें शर्म नहीं आई, पचास साल का अधेड़ एक छोकरी से इश्क लड़ा रहा, वो भी बीस साल छोटी लड़की से तीन बच्चों के बाप हो, बड़ा बेटा जाॅब कर रहा है और ये दोनों भी एक दो साल में जॉब ले लेंगे। 

               इतना सुनते ही शरद की सिट्टी पिट्टी गुम ! अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे ! शरद हकलाते हुए, तुम्हें कैसे पता चला, तुम तो फेसबुक पर नहीं हो और इतना कुछ जानने के बाद भी अब बम विस्फोट कर रही हो, धाँय धाँय गोली चला रही हो। तो क्या करती, इस उमर में प्यार कर रहो हो तो मैं अनजान बनकर रही ताकि तुम्हें सही वक्त पर सबक सिखा सकूँ, भले ही मैं फेसबुक पर नहीं,पर मेरी फ्रेंड्स तो हैं उनलोगों ने बताया आपके उचछृखंलता के बारे में, शायद आप भूल गए मैं भी फेसबुक पर दूसरे नाम से हूँ, वो अकाउंट आप ही बनाए थे। 

शरद के कान बजने लगे , चेहरा बेरंग और तो और पत्नी चार महीने से उसकी कारस्तानी को खामोशी से झेल रही थी , वो भी  बड़े आराम से , मानों कोई बड़ी बात ना हो । क्या करे वो , अब तो सब कलई खुल गई था , बीबी सिर पर बम के गोले पटककर अपने कमरे जा चुकी थी। एक घंटे के बाद हिम्मत जुटा शरद कमरे जाता है ,सुनो ना  क्या करें  हमसे बहुत बड़ा पाप हो गया है , अब तुम बताओ ना, कोई लड़की जानबूझकर किसी मर्द को रिझाने की कोशिश करे तो वो फिसल ही जाएगा ना , वो रात दिन मेरे आसपास तितली जैसी मंडराती रहती , तो बेकाबू हो गया मैं। अच्छा तो सारी गलती उस राक्षसिनी सुहासिनी की है और तुम तो दूध के धुले हुए हो। मर्द जात ही है ऐसी ! अपने चरित्र पर आती है तो सारे कीचड़ औरत के दामन पर उछालते हैं और तो और स्त्री के चरित्र के मालिक बन सर्टिफिकेट देने लग जाते हैं। छी:  छी:  घिन आती है तुम जैसों पर! तुमने जो  दंश दिया है वो नाग का विष है , पी चुकी  हूँ अब और नहीं। अब तुम अपने रास्ते , मैं अपने रास्ते! अलग तो हो नहीं सकती ,ना बच्चों से कुछ कह सकती , इसलिए जीवन के बाकी क्षण इसी जहर के साथ काटना है हमें। 

               शरद अपराधी सा मुँह बनाकर खड़ा रहा , हाथ जोड़ता रहा ,लेकिन सुनीता टस से मस नहीं हुई। तुम पाप किए हो शरद,  एक विधवा के संग रंगरेलियाँ मनाकर,  उसका दो साल का एक बच्चा भी है और उसके बच्चे का बाप बन सकते हो। नहीं ना , घोर घनघोर से ज्यादा आह लगेगी तुम्हें। वो तुम्हारे पास आई थी तो तुम उसका हाथ थाम लेते एक बड़े भाई के रूप में , लेकिन नहीं। 
चलो छोड़ो अब ये सब , मैं मार्केट जा रही हूँ सामान लेना है। 

अंजूओझा,पटना 
स्वरचित

Note:-
In this story used images are only for imagination. 

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